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Mahagauri Shymala Strotram

Written by our director A gift to every Devi bhakt on this Akshaytritiya महागौरी श्यामला स्तोत्र ॐ ह्रीं श्रीं पराशक्ति पद्मिनी पद्मसिनी । आदिरूपा आदिशक्ति आदिमाता योगिनी ।। भवानी भवनाशिनी भवतारिणी भवहारिणी। भुवन मोहिनी भुवन ईश्वरी भुवन धारिणी भाविनी। श्रीविद्या श्रीलक्ष्मी श्रीचक्र निवासिनी। श्रीवाणी श्रीशक्ति श्रीपुरवासिनी।। त्रिपुरा त्रिपुरसुन्दरी त्रयवर्ग प्रदायिनी । कलारूपा कलावती सकल कला दायिनी।। स्वरमयी स्वर्णमयी सुरेश्वरी स्वर…

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Dra-Geetam Musical Dragons and Sitar

It’s important to promote Indian classical music in various ways.Our Director Dr.Radhika VeenaSadhika had been continually doing the same.One such invention of hers to promote Indian classical music is Dra-Geetam. Dra -geetam is inspired from the traditional snakes and ladders game and involves dragons instead of snake and sitar instead of ladder. This game summarises the learning journey of a…

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Free Veena Camp

Namaste everyone, Veena Venu Art Foundation is organising a 6DAY FREE VEENA CAMP for everyone for the promotion of Indian instruments art and culture. If anyone of you/family/friends wants to learn any kind of Veena / Sitar they can join it by doing free registration before 20th May 2022 and can learn all kind of Veenas/Sitar for free in this…

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एकत्व : राग का समय ,पुरियाधनाश्री का भाव और राग ध्यान के संबंध में एक चिंतन

जब दिवस और रात्रि के एक दूसरे में समाकर एक हो जाने का समय आता हैं तो उसे कहते हैं संधिकाल। संधि अर्थात मित्रता,जोड़,जुड़ाव। काल अर्थात समय। जब दिवस भर के भौतिक जगत के कार्यों में व्यस्त आत्मा,परमात्मा में जुड़ने के लिए व्यथित होने लगे,अंतर्मन स्वरों के रूप में प्रवाहित हो,सृष्टि के कण – कण में विसर्जित होने लगे ,उन…

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सीखिए शास्त्रीय संगीत सिर्फ़ दो महीनो में ……

आज क्रॉस वर्ड गई ,सोचा कुछ अच्छी किताबे खरीद लू ,कुछ किताबे चुनी ही थी की एक किताब पर नज़र गई,लर्न सितार इन १० डेस ,पास ही एक और किताब रखी थी ,लर्न गिटार इन फिफ्टीन डेस,काफी लम्बी श्रृंखला थी ,वैसे तो कई बार किताबो की दुकानों में ,किताबो के ठेलो पर ,रेलवे स्टेशन पर भी इस तरह की किताबे देखी हैं ,और हमेशा इन्हे देखकर हँसी ही आई हैं ,किंतु आज पता नही क्यो,एक किताब उठा कर देखि ,सोचा जो संगीत मैं इन २२-२३ सालो में भी पुरा नही सीख पाई वो ये दस दिन में कैसे सीखते हैं ?जब किताब खोली तो पहले पेज पर था यह सितार हैं चित्र,इसे ऐसे लेकर बैठा जाता हैं ,दूसरा अध्याय था सितार पर मिजराब के बोल ,तीसरा सा ,रे ग म प ध नि कैसे बजाना सीखता था,चौथे में सितार पर एक गत,पांचवे में तान ,छठे में वन्देमातरम कैसे बजाना,सातवे में सितार पर एक फिल्मी गीत ,नवे अध्याय में कलाकरों के चित्र ,दसवे अध्याय में संगीत की कुछ बेसिक जानकारिया और किताब समाप्त,सीखने वालो ने शायद इंतनी ही सरलता और तेजी से सीख भी ली सितार । कमाल हैं बडे बडे संगीतज्ञ हो गए ,कलाकार हो गए पर किसी ने भी यह नही कहा की हमने फला वाद्य या गायन् इतने दिनों या महीनो में सीख लिया,सब यही कहते रहे की हम सीख रहे हैं । मेरे पास भी सीखने के लिए ऐसे विद्यार्थी आते हैं ,जो पहला प्रश्न यह करते हैं की कितने महीनो में वीणा बजाना पुरी तरह से आ जाएगा?अब कितने महीनो में पुरी तरह से आप वीणा बजाना सीख सखते हैं इसका उत्तर न तो मेरे पास था न हैं, क्योकि संगीत एक कला हैं ,कला आत्मा की अभिवयक्ति हैं , कला देवी हैं ,कला ज्ञान का वह सागर हैं जो कभी ख़त्म नही होता ,हम जितना सीखते हैं हमारी अंत: प्रेरणा हमें और नया सिखने समझने पर बाध्य करती हैं,हमारी समझ और बढती हैं ,ऐसे में इस प्रश्न का उत्तर क्या हो सकता हैं सिवाय इसके की भई आप दिनों में मत सीखना चाहो इस विद्या को ,और अगर आपको कुछ दिन में सीखके खत्म करना हैं तो मुझे सीखाना नही आता ।इंग्लिश सीखिए सिर्फ़ ९० दिनों में ,किताब आती हैं न ! यह ठीक उसी तरह हैं ,जिस तरह कोई भी भाषा कुछ दिनों में नही सीखी जा सकती उसी तरह कला भी कुछ दिनों में सिर्फ़ किताब पढ़के या सिर्फ़ चार दिन गुरु के पास जाकर नही सीखी जा सकती ।दरअसल इस तरह की किताबो के कारण या विद्यालयों में सिखाये जाने वाले आधे अधूरे संगीत के कारण,मिलती डिग्रियों के कारण,अन्य विषयों की पढ़ाई के दबाव के कारण ,या बढती महंगाई ,कम होती नौकरिया और पैसा कमाने की बढती इच्छा के कारण इस तरह के लोगो का एक वर्ग बढ़ता जा रहा हैं जिसके लिए संगीत कला महज एक दिखावी शौक या इसे गाना भी आता हैं वाला गुण हैं ,जैसे किसी लड़की की शादी होने वाली हो उसे खाना बनाने के साथ और घर के अन्य कामो के साथ उसके डॉक्टर होने की बड़ी बड़ी उपलब्धियों के साथ एक और गुण जिसे उसके बायोडाटा में जोड़ा जा सकता हैं की इसे गाना भी आता हैं ।वस्तुत: संगीत कला एक ऐसी कला हैं जिसके लिए पुरा जीवन …नही केवल एक जीवन नही..कई जीवन भी सीखने ,समझने के लिए लग जाए तो आश्चर्य नही कला या विद्या समर्पण मांगती हैं,सतही तौर पर सीखा गया संगीत न सुर देता हैं और न गीत ,सिर्फ़ दिखावा देता हैं और कला की कद्र को कम करता हैं ।कोई कहता हैं हमारा बेटा इंजिनियर हैं ,कोई डॉक्टर ,कोई बड़ी कम्पनी का डायरेक्टर ,कितने लोग हैं भारत में जो पुरे विश्वास और आनंद से कहते हैं की उनका बेटा या बेटी सन्गीत्ज्ञ हैं ? बड़ी बड़ी डिग्रियों,नौकरियों की आड़ में संगीत जैसी कला को सीखने के लिए चाहिए समर्पण ,समय और धैर्य जो आज कितने कम लोगो में हैं ,सब दौड़ रहे हैं ,बडे पद को ,नाम को हासिल करने के लिए ,और भारतीय संस्कृति की आत्मा कही खो रही हैं,नई पीढी सुन रही हैं ,जॉज , पॉप रॉक ,बस नही सुन रही तो शास्त्रीय संगीत . क्रॉस वर्ड में ही सीडी देखने गई तो शास्त्रीय संगीत वाले विभाग में शुद्ध शास्त्रीय संगीत की चार छ: सिडिस को छोड़ बाकी सारी मिलावटी संगीत की सिडिस थी,जिनमे विदेशी संगीत पर भारतीय संगीत का तड़का लगा हुआ था ,ठीक हैं फ्यूजन अच्छा हो तो कोई बुराई नही ,पर मुझे यह कन्फ्यूजन हो गया की मैं भारतीय संगीत वाले विभाग में सीडी देख रही हूँ या विदेशी संगीत वाले विभाग में । कहते हैं युवा पीढी को फ्यूजन में ही आनंद आ रहा हैं ..पर शुद्ध भारतीय संगीत मूल्य क्या हैं ,वह क्या चीज़ हैं इस बात का ज्ञान करवाने की जिम्मेदारी या तो हम कलाकारों पर ही हैं या ,आज के माता पिता पर या बुजुर्गो पर ।जब तक हम स्वयं अपनी कला और संस्कृति की कद्र नही जानेंगे तो दुसरे कैसे जानेंगे ,जब तक हम स्वयम् प्रयत्न नही करेंगे तब तक सरकार और अन्य सांस्कृतिक संश्तःये कितना और क्या कर लेंगी,कला और कलाकारों को सम्मान देने की जिम्मेदारी भी भारतीय समाज की ही हैं न! इति डॉ राधिका वीणासाधिका

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Vichitra Veena is Scientific Instrument

Fact-Vichitra Veena is scientific Instrument* 1.Vichitra Veena is ancient scientific Instrument of India because it’s the only Instrument which can produce all 22 shrutis and all swars of Indian classical music in very effective and easy manner. 2.In Indian music every Raag has a different swarup of each swar, and Vichitra Veena is the Instrument which has the ability to…

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Music Education now a days !

There was a time when music education was very divine .Now a days it’s a BUSINESS. One can see total commercialization in music education sector. Big banners ,big marketing, attractive offers,100% refunds if not satisfied ,Free trial classes, Structured and impressive course details and supplements, Short period certificate courses, performance opportunities from very first day of joining class or at…

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